बुधवार, 7 अगस्त 2013

माँ मुझे मत मार

कविता
माँ मुझे मत मार

माँ के आँचल के
छाँव की है.....चाह,
पिता के स्नेह को
पाने की है.....चाह,

भैया संग लोरी
सुनने की है.....चाह,
आँगन में किलकारी
भरने की है.....चाह,

सबका स्नेह प्यार
पाने की है.....चाह,
सुख-दुःख में साथ
निभाने की है.....चाह,

रिश्तों में प्यार
बढाने की है.....चाह,
कुल की मर्यादा
निभाने की है.....चाह,

रोकर खुद दूसरों को
हँसाने की है.....चाह,
सिसक-सिसक बेटी
भर रही है.....आह,

माँ से विनती
करती बारम्बार,
मत मार गर्भ में
माँ मुझे मत मार ।।

************************

डा0 उमे कुमार पटेल ‘श्री
श्रीरामा सेवा संस्थान
ग्राम-घोठही, पोस्ट-करमहा,
जिला-महराजगंज (उ0प्र0)
पिन - 273303
चल दूरभा नं0-    +919450882123
ईमेल- shrish.ukp@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें